मेरी मोहब्बत-ए-अरदास


image

अकेले बैठे कुछ लम्हें याद किए,
किताब-ए-जिंदगी के पन्ने पलटते हुए,
जिक्र आया तुम्हारा तो रुक गए हम,
हर लफ्ज पे मुस्कुराए बिना ना रह सके हम।

तुमसे कर के मोहब्बत अब जीना सीखे हम,
तेरे तसव्वुर में उठी जो निगाहों में शरारत लिए हम,
लेती है बलाएँ ये कुदरत भी मोहब्बत की मेरी,
शरमाकर पलकें झुकायें तेरा ही इंतजार कर रहे हम।

क़ुर्बान करदूँ तुझपे जन्नत की अप्सराओं का नूर भी,
हर हाल में साथ निभाने का वादा कर के,
साथ हो तेरा तो खुद खुदा भी जले मुझसे,
एसी एक हँसीं मोहब्बत की कहानी लिख दूँ।

जिंदगी का साथ हो, और तू मेरे पास हो,
कर दूँ ये जिंदगानी मैं नाम तेरे,
रब से बस अब यही अरदास हो ।।

©हिताक्षी बावा

8 thoughts on “मेरी मोहब्बत-ए-अरदास

Leave a comment