वो पहली मुलाकात


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बडी याद आती है हमें तेरी वो हर बात,
वो खूुबसूरत सी हमारी पहली मुलाकात,
लू से तपती दोपहर में वो सर्द तेरा एहसास,
याद है मुझे जो हुई मिलते ही वो बेमौसम बरसात…

हाथ थामे एक दूजे का हम चले जा रहे थे,
तू  कह रहा था कुछ और हम तुझे देखे सुने जा रहे थे,
शायद उस आगोश में हम होश में ना थे,
बस पास था तू मेरे, हम इसी एहसास को जिए जा रहे थे…

एक दूजे पर हमारा वो पानी की बूंदें बरसाना
अपनी ही शरारतों में गुम दुनिया को न देख पाना
फिर सबसे शर्माकर वो तेरा बाहों में छुप जाना,
गले लगते ही हमारा वो बूंदों की तरह घुल जाना…

एक दूजे में खोए जाने कब धर पहुँचे
ना चाह के भी हमारे हाथ एक दूजे से छूटे,
बिना किसी वादे हम आसूंओ में भीगे,
फिर रहे वहीं और सपने भी खुद से रूठे..

बडी याद आती है हमें तेरी वो हर बात,
खुबसूरत सी हमारी वो पहली मुलाकात।।

©हिताक्षी बावा

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