बेटी हूँ मैं…!!


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बोझ नही हूँ, बेटी हूँ मैं,
तेरे ही आँगन मे खेली हूँ मैं,
चलना सिखाया तूने, उंगलियो को पकड़,
तुझसे ही जुड़ी तेरी सहेली हूँ मैं…

बेटा समझ पाला तूने,
हर राह पर चलना सिखाया,
फिर क्यों आज, डोली सजाते वक़्त,
यह दिल तेरा घबराया….?

हर पल को मेरे संजोया तुने,
अपने प्यार और दुलार से,
हर कदम को मेरे फूलों की राह मिली,
बचाया हर काटों के वार से…

रख होंसला, अपने पास मुझे,
क्यों किसी गैर को सौपे मुझे,
कलेजे का टुकड़ा हूँ मैं तेरे,
फिर क्यों खुद से जुदा कर छोड़े मुझे…

आँसुओ के साथ विदा करी डोली मेरी,
दर्द इस जुदाई का अब तोड़े तुझे,
बाबुल तेरी गुड़िया मैं प्यारी,
क्यों यूँ मुख तू मोडे मुझसे…

बोझ नही हूँ, बेटी हूँ मैं,
तुझसे ही जुड़ी तेरी सहेली हूँ मैं…!!

©हिताक्षी बावा

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